आठवीं अनुसूची क्या है?
झारखंड, ओडिशा, बंगाल एवं विभिन राज्यों से हो भाषा को भारतीय संविधान के आठवीं अनुसूची में शामिल कराने के लिए हो भाषा प्रेमी,भाषाविद एवं हो भाषा आंदोलनकारी दिल्ली के लिए रवाना हो चुके है।
यह आंदोलन पिछले कई सालों से चली आ रही है। इससे पहले भी राष्ट्रीय स्तर पर रेलवे चक्का जाम किया गया था। साथ ही वर्ष 2016 में हो भाषा को मान्यता दिलाने के लिए जमशेदपुर से राँची पदयात्रा भी हुई। सरकार का ध्यान आकर्षित करने के लिए कई छोटे मोटे आन्दोलन भी हुए हैं। विभिन्न संगठनों के साथ ऑल इंडिया हो लैंग्वेज एक्शन कमेटी के बैनर तले दिनांक 08 अगस्त 2022 को दिल्ली के जंतर मंतर पर शांतिपूर्ण धारना प्रदर्शन किया जाएगा। इसके बाद अगले दिन संबंधित विभागों को मेमोरेंडम दिया जाएगा।जाने क्या है आठवीं अनुसूची ?
भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची भारत की भाषाओं से संबंधित है। इस अनुसूची में 22 भारतीय भाषाओं को शामिल किया गया है।इसके बाद, सिन्धी भाषा को 21 वाँ संविधान संशोधन अधिनियम 1967 ,कोंकणी भाषा, मणिपुरी भाषा, और नेपाली भाषा को 71वाँ संविधान संशोधन अधिनियम 1992 ई. में जोड़ा गया।
हाल में 92वाँ संविधान संशोधन अधिनियम 2003 में बोड़ो भाषा, डोगरी भाषा, मैथिली भाषा, और संथाली भाषा शामिल किए गए।
आठवीं अनुसूची में सम्मिलित भाषाएं -
1. कश्मीरी भाषा
2. सिन्धी भाषा
3. पंजाबी भाषा
4. हिन्दी भाषा
5. बंगाली भाषा
6. असमिया भाषा
7. ओड़िया भाषा
8. गुजराती भाषा
9. मराठी भाषा
10.कन्नड़ भाषा
11. तेलगु भाषा
12. तमिल भाषा
13. मलयालम भाषा
14. उर्दू भाषा
15. संस्कृत भाषा
16. नेपाली भाषा
17. मणिपुरी भाषा
18. कोंकणी भाषा
19. संथाली भाषा
20. बोडो भाषा
21. डोंगरी भाषा
22. मैथिली भाषा
विचाराधीन या आठवीं अनुसूची में शामिल होने की मांग भाषाएं -
अवधी भाषाअंगिका भाषा
बुन्देली
बंजारा भाषा
बज्जिका
भोजपुरी भाषा
भोटी भाषा
भोटीया भाषा
छत्तीसगढ़ी भाषा
धक्ती भाषा
अंग्रेज़ी भाषा
गढ़वाली भाषा
गोंडी भाषा
कोरकु भाषा
गोजरी भाषा
हो भाषा
कच्छी भाषा
कामतापुरी भाषा
कार्बी भाषा
खासी भाषा
कोडावा भाषा
ककबरक भाषा
कुमाऊँनी भाषा
कुराक भाषा
कुड़माली भाषा
लेप्चा भाषा
लिंबू भाषा
मिज़ो भाषा
मगही
मुंडारी भाषा
नागपुरी भाषा
निकोबारी भाषा
हिमाचली भाषा
पालि भाषा
राजस्थानी भाषा
कोशली / सम्बलपुरी भाषा
शौरसेनी भाषा
सराइकी भाषा
टेनयीडी भाषा
तुलू भाषा
आठवीं अनुसूची में शामिल होने पर, भाषा के संबंध में निम्नलिखित लाभ संभावित है :-
(i) संघ लोक सेवा आयोग का विचार जानने के बाद अखिल भारतीय और उच्चतर केंद्रीय सेवा परीक्षाओं में एक वैकिल्पक माध्यम के रुप में भाषा को अनुमति दी जाएगी।
(ii) साहित्य अकादमी अपने विवेकाधिकार से इन भाषाओं के लिए पुरुस्कार,विशेष प्रोत्साहन कार्यक्रम आदि कर सकती है।
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