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Showing posts from May, 2022

जोनोम दोसतुर

खुशहाल जीवन व्यतित करने वाले हो समुदाय के लोगों की पहचान उनके रिति रिवाज परंम्परा से ही हो जाती है। जिसप्रकार शादी ब्याह की परंम्परा होती है उसीप्रकार किसी शिशु के जन्म की भी परम्परा एवं रिति रिवाज होते हैं। एक नवजात शिशु के जन्म के उपरान्त किस तरह के काम करने चाहिए कैसे-कैसे काम नहीं करने चाहिए किस तरह के खान-पान से जन्म देने वाली माँ को परहेज करना चाहिए ताकि उसे किसी तरह के दुःख तकलीफ ना हो इन सारे चीजों की जानकारों आदि काल से ही देखते सुनते एवं काम करते-करते लोंगो में स्थानातरिंत होती जाती है। अर्थात दूसरे शब्दों में कहे तो इसे ही दोस्तुर कहते है। नवजात शिशु के जन्म होने पर हो जाति का अलग ही रिवाज होता है। बच्चे को जन्म देने वाली माँ नवजात शिशु और शिशु के जन्म के समय उपस्थित औरत बाकी दूसरे लोगों के साथ सटती नहीं है ना ही किसी को छूती है। वो लोग अलग ही हटकर रहती है। नदी तालाब या कहीं दूर जाने पर भी पाबन्दी रहती है। क्योंकि इस अवधि में उन्हें छूत माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि छूत के समय नदी-तालाब, देशाउली पूजा स्थल, पूर्वजों को पूजने का स्थल एवं अन्य स्थलों में जाने से वे स्थल दूषित...

सेता आंदि

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आदिवासियों के गुप्त🙈🙊🙉 ज्ञान को आधुनिक समाज अंधविश्वास मानता है. सेता-आंदि :आदिवासी प्रथा के अनुसार पशु-योनि अर्थात   " छोटे कुत्ते 🐶 से शादी" के लिए बच्चों के जन्म के समय लक्षण: 1. बुटितेगे  हतर कनो:अ: होनको 2. चेतन गिन्डुरे दाटा ओमोन:कन होनको 3. कट:प: होरा जोनोमो होनको 4. रिया चुटान होनको 5. टेर मेडन होनको 6. उमासी रे जोनोम:कन होनको 7. द्वितिथि रे जोनोम:कन होनको 8.आ: हेजोले तन होनको 9. हुपु होनको 9. तुरूइया गंडानको. 10. अन्य अस्वाभाविक जन्म होने पर.  आदिवासियों में खासकर हो'समुदाय में एक अजीब परम्परा आदिकाल से हमारे  पूरखों ने आस्था व अनुभव के आधार पर समस्या के समाधान का उपाय निर्धारित कर  परम्परा व दस्तूर के रूप में स्थापित किया है, जो आज भी जारी है वो है "सेता:आंदि" अर्थात नव शिशु को 1-3 वर्ष तक में एक कुत्ते के साथ शादी रचायी जाने का रिवाज बना दिया गया है.  3वर्ष के बाद कुत्ते से शादी नहीं होने पर दूसरी विधि विधान से जन्मदोष का निराकरण किया जाता है.   आज भी कोल्हान क्षेत्र के आदिवासी गाँवों में अक्सर उनके सबसे बड़ा सृष्टि पर्व "मांगे पोरो...

DINDA KUI HO BOOK

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DINDA KUI HO BOOK 👈👈👈👈👈 PRESS HERE FOR READ HO BOOK DINDA KUI. WRITER ADITYA PRASHAD SINHA.