हँड़िया (डियङ)
हँड़िया, जिसे कभी-कभी हड़िया भी कहा जाता है, हो भाषा में इसे डियङ कहा जाता है।यह एक प्रकार की पारंपरिक बीयर है जो मुख्यतः आदिवासी समुदाय में प्रचलित है। यह पेय विशेष रूप से झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में लोकप्रिय है। हँड़िया बनाने के लिए पके हुए चावल (भात) और रानू गोली की गोली (एक प्रकार का प्राकृतिक खमीर) का उपयोग किया जाता है। इस प्रक्रिया में चावल को खमीरित करने के बाद फर्मेंट किया जाता है, जिससे एक मादक पेय तैयार होता है जिसे सामाजिक समारोहों और त्योहारों पर परोसा जाता है।
हँड़िया की विशेषता यह है कि यह एक स्वदेशी पेय है जो स्थानीय संस्कृति और परंपरा का हिस्सा है। दूसरा विशेषता गर्मी के मौसम में इसका सेवन करने से लू लगने की संभावना नही रहती है। इससे जोंडिस का रोग भी ठीक होता है। इसका सेवन अक्सर ग्रामीण इलाकों में जीवन के विभिन्न पहलुओं को मनाने के लिए किया जाता है। हँड़िया न केवल एक पेय है, बल्कि यह समुदाय के लोगों के बीच एकता और सामाजिक संबंधों को मजबूत करने का एक माध्यम भी है।
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