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हो दोस्तुर फ़ोटो

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किमिन सला (वधू का चुनाव) हिंदी अनुवाद

वीर सिंह जब बूढ़ा हो चला तब उसे अपने एकलौते पुत्र रसिका की शादी की चिन्ता हुई। रसिका की माँ भी घर का काम-धाम अपनी बहू को सौंप कर दुनियादारी से मुक्त होना चाहती थी। एक दिन वीर सिंह ने रसिका से कहा, "हे पुत्र! अब हम दोनों बूढ़े हो चले। अब तुम्हारी शादी हो जानी चाहिए। अपनी बहू के लिए हमने तीन कन्या को देखा है। एक गाँव के पूर्व में, दूसरी पश्चिम में और तीसरी दक्षिण में है। अब तुम तीनों में से एक को चुनकर बताओ ताकि तुम्हारी शादी अविलम्ब कर दी जाए। होशियारी से वधू का चुनाव करना। "मड़े बुरू कंणा डोम" अर्थात् आँख रहते अन्धा न बनना।" रसिका ने कहा कि यदि आपकी ऐसी इच्छा है, तो ऐसा ही होगा, "अयं गूगु दिरि लेकानिः" यानी मेरे लिए इशारा ही काफी है। पिताजी! अब मैं एक भिखारी का रूप धारण कर परीक्षा के लिए जाता हूँ। वीर सिंह ने अपने बेटे को आनन्द से विदा किया। रसिका के पिता ने चुने हुए गाँवों में से एक गाँव में पहुँच कर आवाज लगाई, "भिखारी को थोड़ा-सा अन्न मिले मालकिन ! भूख-प्यास से मर रहा हूँ। कुछ मिले मालकिन !" भिखारी को देखकर घर से एक युवती आई और बोली, "ओ भि...

हो जनजाति में "हो" शब्द की उत्पत्ति

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 हो शब्द की उत्पत्ति के संबंध में यह माना जाता है कि हो की उत्पत्ति एक शब्द 'हो' से हुई है। 'होड़मो' एक शब्द है जिसकी उत्पत्ति होड़ से हुई है। होड़ का संक्षिप्त ध्वनि 'हो' है। #हो का तात्पर्य मनुष्य या आदमी से है इसे समझने के लिए -   हो        मुण्डारी         संताली हो          होड़ो              होड़  यहाँ प्रयत्न लाघव के कारण मुण्डारी होड़ो, संताली होड़ से हो में 'हो' गया। वास्तव में हो ही मूल शब्द है। हो से होड़ो तथा होड़ शब्द बना है। इन्साइक्लोपीडिया मुण्डारिका के लेखक जॉन बपतिस्त हॉफमैन के अनुसार इस प्रजाति का नाम मूलतः 'हो', 'होड़ो', 'होडको' है। 'हो' उस मूल शब्द का ही उच्चारण भेद से बना संक्षिप्त रूप है। यह मुण्डा प्रजाति की शाखा है। 'होड़ों का अर्थ है आदमी। 'हो' मुण्डा को ही केवल 'हो' के नाम से जाना जाता है। इसकी उत्पत्ति एक अण्डज से मान सकते हैं। अण्डा से जब कोई जीव की उत्पत्ति होती है तब सबसे पहले एक बिन्दु 'न्यूक्लियस प्वाइंट' बनता है उससे धीरे-धीरे शरीर का ...

'हो' जाति का सामान्य परिचय

 'हो' झारखण्ड राज्य की प्रमुख जनजाति है। यह झारखण्ड राज्य की चौथी सबसे बड़ी जनजाति है। मुख्य रूप से ये सिंहभूम जिले में निवास करते हैं। सिंहभूम जिला का क्षेत्रफल 9906.9 वर्ग किलोमीटर है तथा 23 प्रखण्ड हैं। यह जिला लगभग 85.2° पूर्व से 89.2° पूर्वी देशान्तर तथा 22° उत्तरी आक्षांश से 22.9° उत्तरी अक्षांश के मध्य अवस्थित है।' बिहार एवं उड़ीसा राज्य में 1981 की जनगणना के अनुसार हो बोलने वालों की जनसंख्या 8,02000 है तथा पश्चिमी सिंहभूम की कुल जनसंख्या 1991 की जनगणना के अनुसार 1788614 है जिसमें अनुसूचित जनजाति की आबादी 974700 है। सिंहभूम जिले के कोल्हान एवं पोड़ाहाट क्षेत्र में सम्पूर्ण जनजाति का लगभग 99.8% (4,53,988) हो जनजाति के लोग निवास करते हैं। डॉ. जानुम सिंह पिंगुवा ने "कोल्हान की 'हो' जाति के पर्व-त्योहार एवं कृषि कार्य" नामक पुस्तक की भूमिका में सिंहभूम जिले में इनकी जनसंख्या लगभग 6,00000 तथा उड़ीसा में करीब 4,00000 बतलाया है। पुराने सिंहभूम जिले का विस्तार भौगोलिक दृष्टि से 21.59 उत्तर अक्षांश और 85.2° तथा 85.50° पूर्वी अक्षांश के मध्य अवस्थित है। इसके ...

हो कविता

  नेह युग  कवि : लाको बोदरा